बंगाल में पुलिस और सरकारी शिक्षक हुए आमने-सामने!जमकर हुआ बवाल!

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उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और अन्य गैर-शिक्षण कर्मचारियों के एक वर्ग ने बुधवार को दक्षिण कोलकाता में पश्चिम बंगाल स्कूल विभाग के एक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प हो गयी। उच्चतम न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने कसबा इलाके में जिला निरीक्षक (डीआई) कार्यालय के बाहर से उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि जब प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का प्रयास किया गया तो मामूली झड़प हुई। उन्होंने कहा कि डीआई कार्यालय के बाहर करीब 150 से 200 प्रदर्शनकारी जमा हुए और उन्होंने भवन में जबरन घुसने का प्रयास किया।

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यह इमारत कोलकाता पुलिस के कस्बा थाने से लगी है। अधिकारी ने कहा कि राज्य विद्यालय विभाग के कार्यालय के बाहर मौजूद प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत जारी है। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देने के साथ ही पूरी चयन प्रक्रिया को ‘त्रुटिपूर्ण तथा दागदार’ बताया है।2016 एसएससी के लिए शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप उठाए गए थे। इस संबंध में सुनवाई के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने 21 अप्रैल 2024 को अपने फैसले में 2016 की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। इसके परिणामस्वरूप 25,752 नौकरियां रद्द हो गईं। राज्य सरकार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और एसएससी ने उस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने अदालत को बताया कि कई लोगों ने श्वेत पत्र जमा करके नौकरी हासिल की है। इसके अलावा, एसएससी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार, 5,000 से अधिक लोगों को बैंक जंप और एक्सपायर पैनल से नौकरी मिली। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 10 फरवरी को पूरी हुई थी।

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