24 जून को मधुबनी के झंझारपुर में होने वाली रैली रद्द,बीजेपी अध्यक्ष नड्डा का बिहार दौरा टला
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बिहार दौरा टल गया है। मधुबनी जिले के झंझारपुर में 24 जून को होने वाली उनकी रैली स्थगित हो गई है। हालांकि, 29 जून को केंद्रीय मंत्री अमित शाह का लखीसराय में प्रस्तावित कार्यक्रम यथावत रहेगा। इसकी जानकारी बिहारी बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बुधवार को दी। नड्डा का दौरा टलने की वजह अभी सामने नहीं आई है। वही बता दें कि सम्राट चौधरी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि जेपी नड्डा का दौरा फिलहाल स्थगित किया गया है। वह अभी बिहार नहीं आ रहे हैं। हालांकि, दौरा रद्द नहीं हुआ है। उनका कार्यक्रम फिर से शेड्यूल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि 29 जून को लखीसराय में होने वाली अमित शाह की सभा के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने विपक्षी एकता मीटिंग पर हमला बोलते हुए कहा है कि क्या जनता ऐसा सरकार बनाएगी जिसमें हर तीन महीने मैं पीएम ही बदल जाए। क्या ऐसी सरकार बनेगी जिसमें तीन महीना नीतीश कुमार, तीन महीना अखिलेश यादव, तीन महीना ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने कहा कि जनता नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएगी। वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की एकता मीटिंग आ रहे कई मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री समेत वीवीआईपी नेताओं के ठहरने की व्यवस्था में कोई कमी ना हो इसके लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के 20 सीनियर अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। राज्य सरकार ने ज्वाइंट सेक्रेटरी और डिप्टी सेक्रेटरी रैंक के 20 अफसरों को 21 जून से 24 जून तक पटना डीएम के अधीन प्रतिनियुक्त कर दिया है। बुधवार को पटना डीएम ने इन अधिकारियों की ब्रीफिंग मीटिंग बुलाई है।जिसमें उन्हें अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार किया जाएगा। वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों में पटखनी देने के लिए 23 जून को पटना में हो रहा महाजुटान रोचक हो सकता है. दरअसल इस महाजुटान से पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. वहीं अब तक चुप्पी साध कर बैठी कांग्रेस महाजुटान के मंच पर ही इन दोनों नेताओं पर पलटवार की रणनीति बना रही है. हालांकि इधर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कांग्रेस अध्यादेश पर उन्हें समर्थन करते हुए राज्य सभा में बिल का विरोध करे।इसके लिए उनकी मंशा है कि 23 जून की बैठक में ही कांग्रेस को अपना स्टैंड साफ करना होगा. इसी प्रकार वह यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस दिल्ली और पंजाब छोड़े तो वह कांग्रेस के लिए राजस्थान मध्य प्रदेश छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. ठीक इस प्रकार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भी अपनी शर्तों पर कांग्रेस को आंख दिखा रही हैं. हालांकि कांग्रेस अब तक चुप बैठी है. लेकिन यह चुप्पी केवल बाहरी तौर पर है.