धूमधाम से आज अबूझ मुहूर्त में मनाई जाएगी सरस्वती पूजा,जानिए पूजा विधि,आरती और मंत्र
आज देशभर में बसंत पंचमी का उत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है क्योंकि इस दिन एक शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था. यहां से जानें सरस्वती पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त से जुड़ी हर अपडेट
काशी क्षेत्र के पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त:
माघ शुक्ल पंचमी की शुरुआत: 2 फरवरी को सुबह 11:53 बजे
माघ शुक्ल पंचमी का समापन: 3 फरवरी को सुबह 9:39 बजे
3 फरवरी को सूर्योदय: सुबह 6:40 बजे।
नोट: काशी क्षेत्र के पुरोहित 3 फरवरी को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा मनाने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि 2 फरवरी को पंचमी तिथि सूर्योदय के बाद आएगी और सूर्योदय के समय चतुर्थी है, इसलिए माघ शुक्ल पंचमी, जिसे बसंत पंचमी कहा जाता है, 3 फरवरी को मनाई जाएगी, न कि 2 फरवरी को।धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग देवी को अत्यंत प्रिय है. इस अवसर पर विद्यालयों और महाविद्यालयों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सरस्वती मां की पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें. एक वेदी पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें और देसी घी का दीपक जलाएं. रोली और कुमकुम से तिलक करें. पीले फूलों की माला, कच्ची हल्दी, केसर, शहद और बूंदी के लड्डू, बेसन की बर्फी, मूंग दाल की बर्फी आदि का अर्पण।
मां सरस्वती पूजा मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः..
ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय..
ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा..
मां सरस्वती की आरती:
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
मां सरस्वती का ध्यान मंत्र:
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।