आतंकियों से लोहा लेने के लिए बनाई गई स्पेशल बटालियन,जम्मू-कश्मीर में हर समय तैनात रहेगी यह बटालियन

 आतंकियों से लोहा लेने के लिए बनाई गई स्पेशल बटालियन,जम्मू-कश्मीर में हर समय तैनात रहेगी यह बटालियन
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जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सेना और पुलिस के अधिकारियों की शहादत के बाद पूरा देश गुस्से में है। लोग सेना और सरकार से आतंकियों और आतंक के पालनहारों को तगड़ा सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले भारत कई बार ऐसे हमलों के बाद आतंकियों के आकाओं को सबक सिखा चुका है। इस बार भी यही मांग की जा रही है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर सामरिक लिहाज से भारत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण राज्य है। यहां हर वक्त सेना समेत कई सुरक्षाबल तैनात रहते हैं। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि घाटी में सुरक्षा के लिए कौन-कौन से बल तैनात हैं-भारत के सिरमौर कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर 42,241 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

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राज्य को जम्मू और कश्मीर डिवीजन में बांटा गया है और यहां कुल 20 जिले हैं। सुरक्षा के लिहाज से कश्मीर क्षेत्र बेहद ही संवेदनशील माना जाता है। यहां सुरक्षा के लिए सेनाओं के अलावा कई अर्धसैनिक बल भी हर समय मुस्तैद रहते हैं। सरकार ने यहां भारतीय थल सेना की कई टुकड़ियों को तैनात किया हुआ है। जिसमें से मुख्य राष्ट्रीय रायफल्स होती है। यह एक आतंकवाद विरोधी / राजद्रोह विरोधी बल है जो राष्ट्रीय राइफल्स में सेवारत भारतीय सेना के अन्य भागों से प्रतिनियुक्त सैनिकों से बना है। RR के आधे जवान थल सेना से आते हैं और भारतीय सेना के बाकी हिस्सों से होते हैं। यह बल जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है। इसके अलावा घाटी में जम्मू-कश्मीर रायफल्स की भी टुकडियां तैनात हैं। राष्ट्रीय राइफल्स (RR) भारतीय सेना की सबसे बहादुर यूनिटों में से एक है, यह सबसे खास इसलिए है, क्योंकि ये सेना की एकमात्र ऐसी बटालियन है, जिसमें इंफेंट्री, आर्टिलरी, आर्म्ड, सिग्नल से लेकर इंजीनियर तक सब सैनिक एक साथ एक ही लक्ष्य यानी आतंक के सफाए के लिए काम करते हैं। इसके साथ ही घाटी में भारतीय वायुसेना भी हर समय तैनात रहती है। वायुसेना की घाटी में पहली बार तैनाती पाकिस्तान के साथ 1947-48 के युद्ध के दौरान की गई थी। वायुसेना का मुख्य काम थल सेना को हवाई सहायता तथा हवाई सीमाओं की सुरक्षा होता है। इसके साथ ही वायुसेना की कुछ बटालियन राष्ट्रीय रायफल्स में भी अपनी सेवाएं देती हैं। इसके साथ ही घाटी में वायुसेना के गरुड़ कमांडों आतंकियों के काल माने जाते हैं।

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यह भी सेना की चिनार कोर और राष्ट्रीय राइफल्स से जुड़े होते हैं। थल सेना और वायुसेना के अलावा जम्मू-कश्मीर में जल सेना की भी तैनाती की जाती है। मार्कोस कमांडो जम्मू और कश्मीर में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं, उनकी प्रमुख भूमिकाओं में से एक वुलर झील की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। साल 2018 के बाद से, MARCOS को सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग के हिस्से के रूप में इस क्षेत्र में तैनात किया गया था। इसके अलावा घाटी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अंदर आने वाली सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान तैनात रहते हैं। CRPF की 26 से ज्यादा बटालियनों के पास कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इसके अलावा बीएसफ के पास शांतिकाल के दौरान सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। वहीं CISF के पास राज्य की औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।इसके अलावा घाटी में जम्मू और कश्मीर पुलिस स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) भी तैनात है। यह 1990 के दशक की शुरुआत में बनाया गया था। कश्मीर के प्रत्येक जिले में जिले में आतंकवाद की मात्रा के अनुसार अलग-अलग ताकत वाली कई एसओजी इकाइयां हैं। प्रत्येक इकाई का नेतृत्व एक पुलिस उपाधीक्षक करता है। कुलगाम, अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा सबसे अधिक एसओजी इकाइयों वाले जिले हैं।

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