सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दों को निपटाने का मंच नहीं-किरेन रिजिजू
सेम सेक्स मैरेज के मामले पर देश की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है. हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि इस मसले को संसद पर छोड़ देना चाहिए.इसके साथ ही केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह जैसे मामलों का विरोध भी किया है।इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी एक दलील भी दिया था।जिसमे केंद्र सरकार ने साफ कहा था कि इस मामले में सभी राज्य की राय लेना जरूरी है।वही दूसरी तरफ बता दें कि इस मामले में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सेम सेक्स मैरिज को लेकर कहा कि अदालतें ऐसे मुद्दों को निपटाने का मंच नहीं हैं. अगर पांच बुद्धिमान लोग कुछ ऐसा तय करते हैं जो उनके अनुसार सही है, तो मैं उनके खिलाफ किसी भी तरह की प्रतिकूल टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन अगर लोग इसे नहीं चाहते हैं तो उनके ऊपर चीजों को नहीं थोपा जा सकता है।केंद्रीय मंत्री का कहना था कि विवाह जैसी चीज एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामला है. इस लोगों की ओर से ही तय किया जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पास एक निश्चित डायरेक्शन में धारा 142 के तहत कानून बनाने की शक्ति है. साथ ही साथ वह जहां पर कमियां हैं उन्हें पूरा कर सकता है, लेकिन जब हर नागरिक को प्रभावित करने की बात आती है तो सुप्रीम कोर्ट सही मंच नहीं है. यह पहली बार नहीं है जब केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ऐसी टिप्पणी को हो. वह पहले भी कह चुके हैं कि सेम सेक्स मैरिज का मामला सुप्रीम कोर्ट का नहीं है.सेम सेक्स मैरिज के कानूनी मंजूरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पांचवीं बार सुनवाई हुई. कोर्ट इस संबंध में कम से कम 15 याचिकाओं के एक ग्रुप पर सुनवाई कर रही है.