दल्लेवाल के आमरण अनशन वाले मामले में बोला सुप्रीम कोर्ट-किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने के लिए आंदोलन करना कभी नहीं सुना
खनूरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत दल्लेवाल के आमरण अनशन वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई की है. कल सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. पंजाब सरकार ने कहा कि अगर दल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित किया गया तो किसान विरोध कर सकते हैं.जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मांगों के लिए आंदोलन करना लोकतांत्रिक तरीका है लेकिन किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने के लिए आंदोलन करना कभी नहीं सुना. यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले आप समस्याएं पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते.
कोर्ट ने पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे आप हलफनामे के जरिए किसानों की बातों का समर्थन कर रहे हैं. इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि हमें उन किसानों की नीयत पर शक है, जो डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में बाधा डाल रहे हैं.दल्लेवाल को अस्पताल ले जाने का विरोध करने वालों पर भी कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कैसे किसान नेता हैं जो डल्लेवाल की मौत चाहते हैं. उन पर दबाव दिख रहा है. अदालत ने कहा कि वह डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के पंजाब सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं है. अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि अगर डल्लेवाल को स्थानांतरण में मदद की जरूरत है तो वह उन्हें सहायता प्रदान करे.पंजाब के मुख्य सचिव और DGP के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई 31 दिसंबर को फिर से शुरू होगी. बता दें कि दल्लेवाल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर 33 दिनों से खानुरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. कल 27 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिशों पर रिपोर्ट मांगी थी.