नीतीश कुमार के सीटिंग सीटों पर तेजस्वी और कांग्रेस नेताओं ने ठोका दावा,मुश्किल में पड़े नीतीश कुमार
विपक्षी गठबंधन के नेता बार-बार यह बात कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में सीटों की शेयरिंग में कोई बाधा नहीं आएगी। वैसे कहना और कर दिखाना आसान नहीं होता। विपक्षी गठबंधन के लिए बिहार को एक बानगी के तौर पर देखना चहिए। छह दलों के महागठबंधन में लोकसभा सीटों का बंटवारा होना है। कुल सीटें 40 हैं। अभी इनमें एनडीए के पास 23 सीटें हैं। 17 सीटें बीजेपी के पास हैं तो 6 सीटें अविभाजित लोजपा के पास। नीतीश कुमार ने 2019 का चुनाव बीजेपी के साथ एनडीए फोल्डर में रह कर लड़ा था। नतीजतन जेडीयू भी 16 सीटें जीत गई थी। आरजेडी शून्य पर आउट हो गया था तो कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी।बिहार में नीतीश कुमार ने ही आरजेडी के हवा देने पर विपक्षी एकता की बात आगे बढ़ाई थी। जेडीयू और आरजेडी के नेता नीतीश कुमार को पीएम बनाने के लिए हुआं-हुआं करने लगे। वे भी फूल कर कुप्पा हुए जा रहे थे। किसी को वे पीएम मटेरियल नजर आ रहे थे तो कोई उन्हें पीएम का परफेक्ट कैंडिडेट बताने लगा। इस आशय के पोस्टर और प्रतीक भी बनाने की होड़ लग गई। हालांकि नीतीश को अपनी थाह तभी लग गई थी, जब सोनिया से मुलाकात के बाद वे मुंह लटकाए लौट आए थे। तभी से उन्होंने कहना शुरू किया कि वे पीएम पद के दावेदार नहीं हैं।आरजेडी के लोग अगर नीतीश कुमार को विपक्ष का पीएम कैंडिडेट बता रहे थे तो इसके पीछे उनकी मंशा यही थी कि तेजस्वी यादव के लिए बिहार की कुर्सी पर काबिज होना आसान हो जाएगा।
आश्चर्यजनक ढंग से जेडीयू के नेता भी नीतीश को पीए मटेरियल बता कर हवा देने लगे। ललन सिंह कई बार यह बात कह चुके हैं कि पीएम बनने की नीतीश में पूरी क्षमता है। महेश्वर हजारी भी यही बात कह रहे हैं। अब तो आरजेडी के नेता भाई वीरेंद्र ने भी ऐसी ही बात कह दी है। इसके पीछे किसके मन में क्या है, यह तो वे ही जानें, लेकिन नीतीश अब भी इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं।नीतीश कुमार के पीएम और तेजस्वी के सीएम बनने का सपना तो दूर, अभी आसन्न लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में सीटों का बंटवारा महासंकट बन गया है। नीतीश कुमार 16 से कम पर तैयार नहीं हैं। इसलिए कि इतनी सीटों पर पिछली बार जेडीयू के उम्मीदवार जीते थे। आरजेडी उन्हें उतनी सीटें देना नहीं चाहता। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की दावेदारी अलग है। कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसलिए इस बार भी उन्हें उतनी ही सीटें चाहिए। लेफ्ट पार्टियां भी तकरीबन इतनी ही सीटों की दावेदारी कर रही हैं। अगर उनकी बात मान ली गई तो आरजेडी और जेडीयू के लिए 20 सीटें ही बचेंगी।