भौतिक विकास के कदम मानवता को ले जा रहा है विनाश की ओर-मोहन भागवत

 भौतिक विकास के कदम मानवता को ले जा रहा है विनाश की ओर-मोहन भागवत
Sharing Is Caring:

महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले 2000 सालों से सभी प्रयोग हुए हैं। सभी प्रयोग जीवन में सुख शांति लाने में सब असफल है। भौतिक विकास चरम पर पहुंच रहा है, लेकिन भौतिक विकास के कदम मानवता को विनाश की ओर ले जा रहा है। इसका उत्तर हमारी परंपरा के पास है, हमने किसी को रिजेक्ट नहीं किया, सब को स्वीकार किया है, जैसे कि हमारी परंपरा है, आस्तिक दर्शन भी है, नास्तिक दर्शन भी है।संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया को देखिए या देश को हमलोगों को इस बात की आवश्यकता है, स्ट्रगल को आधार मानकर जो जीवन चला है, स्ट्रगल फॉर एक्जिस्टेंस जल्दी गले उतर जाता है, इसलिए जीवन में सभी को संघर्ष करना पड़ता है। काम ज्यादा और कम करना पड़ता है, किसी को अधिक करना पड़ता है, परंतु संघर्ष के बिना जीवन नहीं है। यह हम अनुभव करते हैं, परंतु संघर्ष में एक समन्वय छिपा है उसको मूर्त किया जा सकता है। यह दुनिया को गत 2000 वर्षों में पता नहीं और इसीलिए इस अधूरे आधार पर सारी बातें चलीं।उन्होंने आगे कहा, “पिछले 2000 वर्षों में सारे प्रयोग हुए हैं, इश्वर को मानकर या ईश्वर को न मानकर, व्यक्ति को प्रमुख मानकर या समाज को प्रमुख मानकर शुरू हुए होंगे तो प्रमाणिक हेतु से शुरू हुए होंगे, लेकिन सब प्रयोग कोई तंत्र दे गए, लेकिन जीवन में सुख शांति लाने में सब असफल रहे। भौतिक विकास चरम पर पहुंच रहा है, लेकिन भौतिक विकास के कदम मानवता को विनाश की तरफ ले जा रहे। इस दुनिया के सभी चिंतक मान रहे हैं, तो इसका उत्तर क्या है? इसका उत्तर हमारी परंपरा के पास है, इन सारी बातों को मानते हुए हमने किसी को रिजेक्ट नहीं किया है, हमने सबको स्वीकार किया है, जैसी हमारी परंपरा है, आस्तिक दर्शन में और नास्तिक दर्शन में।””आरएसएस चीफ ने कहा, “विचार में अपने-अपने अनुभव से आते हैं। सत्य क्या है? ऐसे बोलने पर जो बोलता नहीं है वह ज्ञानी है। बोलते हैं इसका मतलब वह जानते हैं, ऐसा जो है हमारे मनीषियों ने उनको जाना तो उनके ध्यान में आया कि जबरदस्ती दुनिया को एक करने हम चले हैं। दुनिया वास्तव में एक है, उस एक की ही इच्छा है, मैं विविध बनूं, इसलिए विविधता है। इस विविधता को मिटाओ और जबरदस्ती एक करो यह रास्ता नहीं है। इसी में रहकर इस को स्वीकार करते हुए यह समझो कि हम एक हैं, विविधता कुछ आगे तक जाती है, क्योंकि एकता ही शाश्वत है, वही सत्य है, हमारे पास है।”उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के बीजेपी के कार्यकर्ता दीनदयाल उपाध्याय की यह कहानी सुनते हैं तो उन्हें विश्वास नहीं होता कि ऐसा हुआ है, क्योंकि वह इतने ऊपर हैं, इतने ऊपर कि हम पहुंच जाएंगे यह संभव नहीं और आवश्यक भी नहीं, हमें यही कहना चाहिए कि आपके (दीनदयाल उपाध्याय) तेज का शतांश भी हमें मिल गया तो दसों दिशाओं को हम उजाला दे पाएंगे।

Comments
Sharing Is Caring:

Related post