चैत्र नवरात्रि का आज है पांचवा दिन,जानिए मां स्कंदमाता की आरती और मंत्र
मां दुर्गा की पूजा-उपासना के लिए नवरात्रि का समय बहुत श्रेष्ठ होता है. मान्यता है कि माता रानी इन दिनों पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है।आज शनिवार 13 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है और आज मां दुर्गा के पांचवे रूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. ये स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता हैं, जिस कारण इन्हें स्कंदमाता भी कहा जाता है. बालरूप में भगवान स्कंद इनकी गोद में विराजमान होते हैं. स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए इनकी उपासना करने वाला भी अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।जो भक्त एकाग्र और शुद्ध मन से देवी की पूजा करता है उसे किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और ऐसे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइये जानते हैं आज चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन कैसे करें मां स्कंदमाता का पूजन।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि:
स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे पहले आप एक साफ चौकी लेकर इसमें कोई वस्त्र बिछाएं और मां की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें. फिर गंगाजल छिड़ककर स्थान की शुद्धि कर लें. अब चौकी के पास एक कलश में जल भरकर रखें और सामने एक नारियल भी रखें. अब पंचोपचार विधि से पूजा शुरू करें।इस बात का ध्यान रखें कि स्कंदमाता की पूजा पीले वस्त्र पहनकर करना शुभ होता है. पूजा में घी का दीप जलाएं, मां को फल-फूल आदि चढ़ाने के बाद पांच प्रकार के मिष्ठान और केले का भोग लगाएं. पूजा के बाद आरती करें औऱ सभी में प्रसाद का वितरण करें. इस तरह से पूजा करने पर स्कंदमाता का आशीर्वाद मिलता है।
मां स्कंदमाता पूजा मंत्र:
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
मां स्कंदमाता की आरती:
जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।इंद्र आदि देवता मिल सारे, करें पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाएं।दास को सदा बचाने आईं, चमन की आस पुराने आई।
जानें ये पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों ही संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षश का अंत किया था।