विपक्षी गठबंधन के सभी नेता सीएम नीतीश को आखिर क्यों कर रहे हैं इग्नोर?नींव रखने वाले नीतीश के साथ आखिर क्यों हो रहा है ऐसे?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री कैंडिडेट बनने की मंशा पर कांग्रेस ने एक बार फिर से पानी फेर दिया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि कांग्रेस ने नीतीश कुमार को दरकिनार किया है। इससे पहले भी बैठक के दौरान कई एक ऐसे मौके आए जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में उनकी राजनीतिक हैसियत बताने की कोशिश की गई। जानकारों का मानना है कि जहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने कार्यकर्ता जदयू के नेता और आरजेडी के साथ मिलकर खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनवाने की कोशिश कर रहे थे।

वहीं, नीतीश कुमार की इस मंशा को भांप चुकी कांग्रेस ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी नीतीश कुमार को आईना दिखा दिया। कांग्रेस ने चार बैठकों के बावजूद नीतीश कुमार को ना तो इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाया और ना ही प्रधानमंत्री कैंडिडेट कहलाने तक की स्थिति शेष रखी। कांग्रेस की ओर से अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी के जरिए उनकी राजनीतिक हैसियत का आभास कराते हुए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में बढ़ाया गया।याद दिलाते चलें कि इंडिया गठबंधन की पूरी पटकथा लिखने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है। तमाम विपक्षी दलों को जोड़ने और एक मंच पर लाने के बाद भी उन्हें गठबंधन में जरा भी तवज्जो नहीं दिया गया। बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को खड़ा करने के योगदान को कमतर नहीं आंका जा सकता है। जानकर मानते हैं कि इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का जो काम सीएम नीतीश ने किया। वह शायद किसी अन्य राज्य के मुख्यमंत्री के वश का नहीं था। बावजूद इसके सीएम नीतीश कुमार को चौथी बैठक खत्म हो जाने के बाद तक गठबंधन का संयोजक नहीं बनाया गया।बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना को आगामी लोकसभा चुनाव का मुद्दा बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे कांग्रेस के आला कमान की तरफ से सिरे से नकार दिया गया। सूत्रों के हवाले से बैठक के दौरान ‘जितनी जिनकी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी’ वाले फॉर्मूले पर चर्चा हुई थी। जिसपर पर भी कांग्रेस कोई रुचि नहीं दिखाई। माना जा रहा है कि लगातार कांग्रेस नीतीश कुमार के प्रस्तावों को नजरअंदाज कर उन्हें उनकी हैसियत बताने की कोशिश करती रही है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक इच्छा कार्यकर्ता और पार्टी के शीर्ष नेताओं के जरिए उजागर की जाती रही।गौर करने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हर मंशा को लगभग कांग्रेस ने विफल ही किया है। बैठक के दौरान उनकी बातों को अनसुना किया गया। उनके रणनीतिक रोड मैप और ब्लूप्रिंट खारिज किए गए। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी योग्यता और कूटनीति पर भरोसा था। वहीं, सीएम नीतीश राहुल गांधी की योग्यता से भी वाकिफ हैं। गौर करने वाली बात ये है कि यह बात कांग्रेस को भी पता है। नीतीश कुमार भी जानते हैं कि कांग्रेस को एक चेहरे की जरूरत है और राहुल गांधी की वजह से ये जगह खाली बनी है। जहां वो खाली जगह को भर सकते हैं। कांग्रेस इस बात को भांप चुकी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस खाली जगह की भरने की मंशा रखते हैं, जिसके जरिए वो आगामी लोकसभा में अपनी राष्ट्रीय नेता की भी छवि बनाने में जुटे थे। मगर कांग्रेस के आला कमान की तरफ से उनकी इस मंशा पर पानी फेर दिया गया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस किसी भी सूरत में सीएम नीतीश कुमार को आगे नहीं बढ़ाने वाली है। इसकी वजह यह है कि नीतीश निर्णय लेने वाले नेता हैं और कांग्रेस पार्टी को ऐसा कोई नहीं चाहिए।