बिहार को आखिरकार क्यों नहीं मिल रहा है विशेष राज्य का दर्जा?5 साल बाद फिर से गूंजी विशेष राज्य की दर्जे वाली मांग

 बिहार को आखिरकार क्यों नहीं मिल रहा है विशेष राज्य का दर्जा?5 साल बाद फिर से गूंजी विशेष राज्य की दर्जे वाली मांग
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बिहार में 5 साल बाद विशेष राज्य की दर्जे वाली मांग गूंजने लगी है. जातीय जनगणना के बाद नीतीश सरकार ने केंद्र से इसकी मांग की है. सरकार के मुताबिक केंद्र को इसके लिए फिर से चिट्ठी लिखी जाएगी. आखिरी बार 2017 में विशेष राज्य के दर्जे के लिए बिहार सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा था. 2010 में नीतीश कुमार ने पहली बार केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा था. जेडीयू ने बकायदा इसके लिए मुहिम भी चलाई थी. मांग में तेजी को देखते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने अर्थशास्त्री रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी थी.कमेटी ने 2013 में अपनी रिपोर्ट भी केंद्र को सौंप दी, लेकिन विशेष राज्य के दर्जे पर बात आगे नहीं बढ़ पाई.जानकार नीतीश कुमार के इस मांग को सियासी भी मानते हैं. वजह चुनाव से पहले इस मांग को हवा देना है।

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दरअसल, 2010 में पहली बार नीतीश कुमार ने तब इस मुद्दे को उठाया था, जब बिहार में विधानसभा के चुनाव होने थे।केंद्र सरकार राज्यों को विकास के लिए 2 तरह से पैसे देती है. पहला तरीका अनुदान और दूसरा कर्ज का कहलाता है. अमूमन केंद्र 30 प्रतिशत पैसे अनुदान और 70 प्रतिशत पैसे राज्यों को कर्ज के रूप में देती है. लेकिन जब किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है, तब केंद्र उसे 90 प्रतिशत पैसे अनुदान और 10 प्रतिशत पैसे कर्ज के रूप में देती है. इसके अलावा विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी रियायत मिलती है. केंद्रीय बजट में प्लान्ड खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है. साथ ही कई बार जब विशेष दर्जा प्राप्त राज्य मिले हुए पैसे को खर्च नहीं कर पाती है, तो वह पैसा उसे अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है।आजादी के 75 साल बाद भी बिहार की एक बड़ी आबादी गरीबी से जूझ रही है. बिहार सरकार की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 94 लाख परिवारों की आय 6 हजार से भी कम है. यह कुल आबादी का 34 प्रतिशत है. बिहार के अधिकांश लोग या तो बेरोजगार हैं या दिहाड़ी मजदूरी कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बिहार की सीमा से नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा भी लगती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा केंद्र क्यों नहीं दे रहा है?

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