बंटेंगे तो कटेंगे वाले नारे के साथ अखिलेश को उपचुनाव में मात देगी बीजेपी!योगी के नारे से एकजुट हुआ हिन्दू?
बंटेगें तो कटेंगे…यूपी के उपचुनाव मे ये नारा अब चल पड़ा है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ये नारा हरियाणा चुनाव में भी पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ था. पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में इसका समर्थन भी किया था. अब तो RSS भी इस मुद्दे पर साथ दिख रहा है. आपको बता दें कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 अगस्त को पहली बार इस नारे का इस्तेमाल किया था. उन्होंने उस दौरान ये नारा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के संदर्भ में दिया था. हालांकि, अब इस चुनावी माहौल में ये नारा बीजेपी का बीज मंत्र सा बन गया है. इस नारे की पहली परीक्षा यूपी के उप चुनाव से लेकर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में होने वाली है।
इन चुनावों के परिणाम आने के बाद ही ये और साफ हो पाएगा कि बीजेपी को इस नारे का इन राज्यों के चुनाव में भी कितना फायदा पहुंचा है।अब इस नारे के पीछे की राजनीति और उससे जुड़ी रणनीति को समझिए. लोकसभा चुनाव में यूपी में हीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद बंटेंगे तो कटेंगे के नारे की ज़रूरत पड़ी है. विपक्ष के सोशल इंजीनियरिंग को हिंदुत्व से काटने का फ़ार्मूला बना है. पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने ग़ैर यादव OBC, ग़ैर जाटव दलित और सवर्ण जाति के वोटरों को जोड़ कर नया सामाजिक समीकरण बनाया था. इसके दम पर बीजेपी लगातार चार चुनाव जीत चुकी है. 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और साल 2017 और 2022 का यूपी चुनाव. पर पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के सामाजिक समीकरण को ध्वस्त कर दिया. OBC के वोटों का बंटवारा हो गया. बीजेपी की कोशिश नए नारे के बहाने इस बिखराव को रोकने की है. इसीलिए हिंदुत्व की आँच तेज की जा रही है।